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नवीनतम अपडेट का समय: 2017-08-05 02:52:34
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या देवी सर्वभुतेषु, मातृरुपेण संस्थिता !

नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः !!


अर्थात, :- हे देवी भगवती माता ! विद्यादायिनी, शक्ति प्रदान करने वाली, लक्ष्मी प्रदान करने वाली को बारंबार नमस्कार हैं |
भगवती चैतन्य रुप से इस संपूर्ण जगत को व्याप्त करके स्थित हैं, उनको नमस्कार हैं, उनको नमस्कार हैं, उनको बारंबार नमस्कार हैं !!

भगवती से हमेशा अपने कल्याण की प्रार्थना करना चाहिए, अपनी आपत्ति (विपदा, तकलीफ) के नाश की कामना करनी चाहिए, भगवती ने देवताओं पर विपत्ति आने पर उनका कल्याण किया हैं ! उनसे इस प्रकार प्रार्थना करें |

जिस प्रकार पूर्वकाल में अपने अभिष्ट की प्राप्ति होने से देवताओं ने जिनकी स्तुती की तथा देवराज इंद्र ने जिनके शरण में जाकर अपनी रक्षा मांगी, कल्याणकारी ईश्वरी माता दुर्गा हमारा कल्याण और मंगल करें तथा सारी आपत्तियों का नाश करें !

देवी से अपने शत्रुओं से बचने के लिए प्रार्थना करें, देवी स्वयं कहती है कि, मेरे भक्तों की अथवा जो मेरी शरण में आ जाता हैं, उसकी इच्छा मैं अवश्य पूर्ण करती हुँ !!

यदि आप शत्रु (आंशिक, मानसिक, शारीरिक) से परेशान हैं, तो आप निम्न ३२ (बत्तीस) नामों का पाठ करें | आप निःसंदेह विजय प्राप्त करेंगे | नाम इस प्रकार हैं ::


०१. दुर्गा,
०२. दुर्गातिशमनी,
०३. दुर्गापद्धिनिवारिणी,
०४. दुर्गमच्छेदनी,
०५. दुर्गसाधिनी,
०६. दुर्गनाशिनी,
०७. दुर्गतोद्धारिणी,
०८. दुर्गनिहन्त्री,
०९. दुर्गमापहा,

१०. दुर्गमग्यानदा,
११. दुर्गदैत्यलोकदवानला,
१२. दुर्गमा,
१३. दुर्गमालोका,
१४. दुर्गमात्मस्वरुपिणी,
१५. दुर्गमार्गप्रदा,
१६. दुर्गम विद्या,
१७. दुर्गमाश्रिता,

१८. दुर्गम ग्यान संस्थाना,
१९. दुर्गमध्यानभासिनी,
२०. दुर्गमोहा,
२१. दुर्गमगा,
२२. दुर्गमार्थस्वरुणी,
२३. दुर्गमांसुरहंत्रि,
२४. दुर्गमायुधधारिणी,
२५. दुर्गमांगी,

२६. दुर्गमाता,
२७. दुर्गम्या,
२८. दुर्गमेश्वरी,
२९. दुर्गभीमा,
३०. दुर्गभामा,
३१. दुर्गभा,
३२. दुर्गदारिणी !!

इस प्रकार इन ३२ नामों से मनुष्य अपने जीवन के आंतरिक, बाहरी शत्रुओं से बचाव कर सकता है, देवी को अनेक रूपों में पूजा गया हैं, जो जिस रुप में पूजेगा, उसके अनुसार फर प्राप्त करेगा ||


जय माता दी
Posted ByRajKumar DeshmukhOn, 05-08-2017, SaturDay. @MiDNight 02:41 AM (GMT)
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